सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अगस्त, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गंगा बचाओ अभियान

विश्व की तमाम सभ्यताओं और संस्कृतियों का प्रादुर्भाव एवं विकास किसी न किसी नदी के तट पर हुआ है. नदियाँ हमेशा से ही किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का आधार स्तम्भ रही हैं. अतः मानव-समाज सदा ही इनका ऋणी रहा है एवं जन्मदायिनी माता की भाँति इनका सम्मान करता आया है. भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के पल्लवित एवं पुष्पित होने में जिन नदियों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है, गंगा का स्थान उनमें सर्वोपरि है. गंगा एक पौराणिक नदी है एवं प्राचीन काल से ही हमारी आर्थिक एवं धार्मिक गतिविधियों का केंद्र-बिंदु रही है. यह गंगोत्री से उद्भूत होकर देश के एक बड़े भू-भाग को अपने अमृतमय मीठे जल से सिंचित करते हुए गंगासागर में जाकर समुद्र के आगोश में समाहित हो जाती है. गंगा का तटीय क्षेत्र भारतभूमि के सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है. काशी, प्रयाग, हरिद्वार, कानपुर, कन्नौज, पाटलिपुत्र आदि पौराणिक एवं ऐतिहासिक नगरों का उद्भव एवं विकास इसी के पवित्र एवं समृद्ध तट पर हुआ है. किन्तु मानव-सभ्यता के विकास में अत्यंत नजदीकी भूमिका निभाने वाली इन नदियों को इसका भयंकर दुष्परिणाम भी भुगतना पड़ा है. अ

तोड़कर ले आऊँगा मैं तारा एक दिन

मेरे नसीब ने मुझे पुकारा एक दिन रोशनी का मिल गया इशारा एक दिन अभी तो खिज़ां का पहरा है चमन पर होगा बहारों का नज़ारा एक दिन कब तलक भटकेंगे सागर की गर्त में हमको मिल ही जाएगा किनारा एक दिन आज तो धरती पर पाँव रक्खा है आसमां हो जाएगा हमारा एक दिन अभी तो इन जुगनुओं को पास में रखिए तोड़कर ले आऊँगा मैं तारा एक दिन

उत्सव

कल १५ अगस्त है - हमारा स्वाधीनता दिवस. भारतवर्ष के दो प्रमुख राष्ट्रीय त्यौहारों में से एक. हम सभी भारतवासियों के लिए एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण दिन. हम स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं - यह याद करके खुश होने, इतराने का दिन... सारी दुनिया में अपनी स्वतंत्रता का डंका बजने का दिन... स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की शहादतों को याद करने का दिन... तिरंगे झंडे को फहराने का और राष्ट्रगीत गाने का दिन... राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत भाषण देने, सुनने और राष्ट्रीयता के भावों से लबरेज गानों को बजाने और सुनाने का दिन... सरकार की उपलब्धियाँ (जिसमें से कुछ पिछले सालों से उधार ली जाती हैं, कुछ आने वाले सालों के लिए तैयार की जाती हैं) गिनाने का दिन... बड़े-बड़े वादे करने का दिन...इत्यादि...इत्यादि... इतना बड़ा दिन! इतना बड़ा त्यौहार!! इतने सारे क्रिया-कलाप!!! ज़ाहिर है उत्सव भी बड़ा होगा. होगा क्या, होता ही है. स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस ही तो सबसे बड़े राष्ट्रोत्सव हैं. इस दिन की चहल-पहल, लोगों का उत्साह आदि अपने चरम पर होते हैं. वैसे सब लोगों के उत्साह के अपने-अपने कारण होते हैं. इसील