दिलजोई का कुछ तो अब सामान कर दोस्त और दुश्मन की तू पहचान कर. मिट जाएँ दुनिया से सारी नफरतें अब तो कुछ ऐसा ही इंतजाम कर. दूरियां बढ़ती रही हैं आज तक खाइयाँ पट जाएँ ऐसा काम कर. जो मिटा दे दर्द हर एक कौम का लागू कोई ऐसा संविधान कर. राम और रहीम में है फर्क क्या नासमझ न इनको तू बदनाम कर. दे अमन की रोशनी सारे जहाँ को कर सके तो ऐसा ही कुछ काम कर.