माँ हूँ मैं! पल रही हूँ कोख में एक माँ की लेकिन डरी-सहमी सी- क्या मैं जन्म ले पाऊँगी? ये दुनिया देख पाऊंगी? कहीं गर्भ में ही मार तो नहीं दी जाऊंगी? माँ हूँ मैं! उमंगो से भरी कुलाचें भर रही हूँ मैं माँ के प्यार तले, पापा के दुलार तले लेकिन कांप उठती हूँ सोचकर क्या मैं ससुराल जा पाऊँगी? क्या मैं माँ बन पाऊंगी? कहीं जला तो नहीं दी जाऊंगी दहेज़ के लिए? माँ हूँ मैं! बेटी की शादी हो गई है सुंदर सी बहू है मेरी, कभी-कभी मिल पाती हूँ वृद्धाश्रम में रह रही हूँ न बेटे का घर थोड़ा छोटा है! माँ हूँ मैं! चिंता लगी रहती है हमेशा अपने बच्चों की घुलती रहती हूँ उनकी याद में भगवान् उन्हें सुखी रखें! सदा सुखी रखें!!