बीते पलों के अफ़साने लिख रहा हूँ।
जिंदगी मैं तेरे तराने लिख रहा हूँ॥
हालत कुछ यूँ कि वक्त काटे नहीं कटता,
वक्त काटने के बहाने लिख रहा हूँ॥
नदिया किनारे, पेड़ों की छाँव में,
देखे थे जो सपने सुहाने लिख रहा हूँ॥
हँसते-खेलते, अठखेलियाँ करते,
खूबसूरत गुज़रे ज़माने लिख रहा हूँ॥
धुंधली ना पड़ जाएँ यादें हमारी,
नयी कलम से गीत पुराने लिख रहा हूँ॥
जिसके गवाह थे वो झुरमुट, वो झाड़ियाँ,
तेरे-मेरे प्यार की दास्तानें लिख रहा हूँ॥
जिंदगी मैं तेरे तराने लिख रहा हूँ॥
हालत कुछ यूँ कि वक्त काटे नहीं कटता,
वक्त काटने के बहाने लिख रहा हूँ॥
नदिया किनारे, पेड़ों की छाँव में,
देखे थे जो सपने सुहाने लिख रहा हूँ॥
हँसते-खेलते, अठखेलियाँ करते,
खूबसूरत गुज़रे ज़माने लिख रहा हूँ॥
धुंधली ना पड़ जाएँ यादें हमारी,
नयी कलम से गीत पुराने लिख रहा हूँ॥
जिसके गवाह थे वो झुरमुट, वो झाड़ियाँ,
तेरे-मेरे प्यार की दास्तानें लिख रहा हूँ॥
रोज़ ही कुछ कागज करता हूँ बरबाद,
जवाब देंहटाएंप्रयत्नशील हूँ जीवन हो कब आबाद !
माया मोह क़े बंधन से हो आज़ाद,
कह सकू कभी जिंदाबाद...जिंदाबाद !!
http://dpmishra1961.blogspot.com/
Wah bahut khoob ji !
जवाब देंहटाएंBahut achchha bhai.......plz keep it up....
जवाब देंहटाएंsundar prastuti
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