चूम लो… चपल चितवन से मुझे तुम चूम लो। अहर्मुख की रश्मियों-सी दृष्टि-किरणें, छुवें हौले से मेरा कलिका कलेवर। खिल उठूँ मैं, खुल उठूँ मैं त्याग लज्जा, फिर बिखेरूँ रंग-सौरभ खिलखिला कर। चूम लो… मृदुल बातों से मुझे तुम चूम लो। मधुर मुरली की सुरीली तान-से मृदु शब्द तेरे शहद से घुलते श्रवण में। हो मदाकुल मगन-मन चंचल पवन-सी, नाचती चहुँ दिश फिरूँ, क्वण आभरण में। चूम लो… उष्ण साँसों से मुझे तुम चूम लो। सोख लेने दो मुझे इनकी तपन को, सिमटने दो सर्द भावों से लिपटकर। अरु पिघलने दो शिखर संकल्प हिम-से, फिर भिगो दूँ यह धरा शुचि वारि बनकर। चूम लो… हृदय-स्पंदन से मुझे तुम चूम लो। तृषित तन-मन आज मेरा चूम लो।। - राजेश मिश्र