भूख है, गरीबी है, दर्द है, रुसवाई है।
वोट से हिंद की जनता की ये कमाई है।
देश का पैसा गया स्विस बैंकी खातों में,
संसदी नदी में घोटालों की बाढ़ आई है।
खाकी हो, खादी हो, बेदाग कोई नहीं,
अख़बार और टीवी से तौबा है, दुहाई है।
दूध-घी नदारद हैं बच्चों की थाली से,
पिज्जा और बर्गर की पूछ है, पहुनाई है।
हम तो चुप ना रहेंगे, बोलेंगे, मुँह खोलेंगे,
हिंद को बदलने की कसम हमने खाई है।
वोट से हिंद की जनता की ये कमाई है।
देश का पैसा गया स्विस बैंकी खातों में,
संसदी नदी में घोटालों की बाढ़ आई है।
खाकी हो, खादी हो, बेदाग कोई नहीं,
अख़बार और टीवी से तौबा है, दुहाई है।
दूध-घी नदारद हैं बच्चों की थाली से,
पिज्जा और बर्गर की पूछ है, पहुनाई है।
हम तो चुप ना रहेंगे, बोलेंगे, मुँह खोलेंगे,
हिंद को बदलने की कसम हमने खाई है।
bahut khoob...
जवाब देंहटाएंकुछ सकारात्मक हाँथ बड़ना ही चाहिए I हम अकेले नहीं हैं, हम आगे चलेगे तो दुनिया पीची हो ही लेगी I हम सुधरेंगे,जग सुधरेगा - हम बदलेंगे जग बदलेगा - को हम सब मिलकर चरितार्थ करें I कब तक हम सब ये जुल्म सहते रहेंगे? कब तक ये तमाशा देखते रहेंगे? आओं हम सब आगे बढ़ें और देश से भ्रष्टता व् आतंक वाद मिटा दें I २०११ हमसबको निस आवाहन के लिए पुकार रहा है I तो देर किस बात की?
जवाब देंहटाएंचोट करार है
जवाब देंहटाएंवोट की चोट गलत हो गई
ऐसा लगता है /
नया साल मंगलमय हो
Itana nirash na hona. kuch na kuch to theek hi hoga.
जवाब देंहटाएंभूख है, गरीबी है, दर्द है, रुसवाई है।
जवाब देंहटाएंवोट से हिंद की जनता की ये कमाई है।
देश का पैसा गया स्विस बैंकी खातों में,
संसदी नदी में घोटालों की बाढ़ आई है।
Bahut sundar rachna hai Rajesh ji!
is vishay par ek post tha:-
http://www.facebook.com/notes/all-religions-servant-society-arss/democratic-revolution-lokatantrika-kranti/173991929301385
Party less and profit less democracy will clean current dirty democracy.
भारतीय लोकतंत्र की मांग :-
१. दलीय व्यवस्था से मुक्ति.
२. राजनीती को लाभ-रहित बनाना.
Our Indian Democracy requires some change with Indian devotional feelings:-
1. "Think to exit Party basis Democracy".
2. "Think how politics will become business of losses".
दूध - घी नदारद हैं बच्चों की थाली से, पिज्जा और बर्गर की पूछ है, पहुनाई है।
जवाब देंहटाएंहम तो चुप ना रहेंगे, बोलेंगे, मुँह खोलेंगे, हिंद को बदलने की कसम हमने खाई है ।।
यथार्थ को व्यक्त करती सशक्त एवं जोशपूर्ण रचना. शेयर करने के लिए शुक्रिया भाई.