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कोविड-19 : चुनौती और अवसर

 आप सभी को सादर नमन! आज पूरी दुनिया के साथ हमारा देश भी विषाणु जनित एक भयंकर बीमारी से जूझ रहा है। कोविड-19 नामक एक नए कोरोना वायरस से उत्पन्न इस अत्यंत संक्रामक रोग का अभी तक कोई उपचार उपलब्ध नहीं है जो इस दुसाध्य रोग  की भयावहता को असीमित कर देता है। दुनिया के तमाम विकसित देशों की उच्चतम कोटि की चिकित्सकीय सुविधाएं भी इसके सम्मुख बेबस खड़ी है। अमेरिका और यूरोपीय संघ के अनेक अनेक देशों को इतना असहाय और लाचार शायद ही किसी ने कभी देखा हो। अरबों लोग अपने घरों में कैद हैं। मंगल विजय से दर्पित सूर्य तक पहुंचने की महत्वाकांक्षा लिए हुए आधुनिक विज्ञान की छत्रछाया में अग्रसर होता मनुष्य एक अत्यंत सूक्ष्म विषाणु के भय से अपने ही घर के दरवाजे से बाहर नहीं निकल पा रहा है। उसकी सारी गतिशीलता समाप्त होती जा रही है। मानों सारा चेतन जड़ होता जा रहा है। सारा चेतन जड़ होता जा रहा है? क्या  सचमुच? क्या घरों से बाहर निकलना ही चेतनता है या फिर भागते पैर और थिरकते कदम? हमारे शरीर का गतिमान होना ही चेतनता है या विकास की अंधी दौड़ में अपने-पराए को रौंदते हुए आगे बढ़ जाना? अपनी  संस्कृति, परंपरा, मूल्यों और