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अक्तूबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरे जीवनसाथी

मनभावन तुम मनमीत मेरे। तुमसे ही हैं ये गीत मेरे।। जीवन के पतझड़ की बहार। निर्झर नयनों का पुलक प्यार। साँसों का सुखद स्पर्श तेरी, मलयज शीतल सुरभित बयार।। मृदु वचन सुभग संगीत तेरे।। तुमसे ही हैं ये गीत मेरे।। तेरा यौवन तेरी काया। काले केशों की घन छाया। बाहें तेरी ज्यों कमलनाल, अधरों पर अरुण अरुण छाया।। हर हाव-भाव में प्रीत तेरे।। तुमसे ही हैं ये गीत मेरे।। झंकृत करके मन-वीण तार। धुन छेड़ो जिसमें प्यार-प्यार। हम डूबें डूबें, जग डूबे, हो प्रेम वृष्टि ऐसी अपार।। कर दो बेसुध मनमीत मेरे।। तुमसे ही हैं ये गीत मेरे।। जीवनधारा, जीवनसंगिनि। जीवन नहिं जीवन तेरे बिन। यूँ ही बरसाती रहना तुम, यह प्रेम-सुधा मुझ पर निशिदिन।। हे हृदयेशा परिणीत मेरे।। तुमसे ही हैं ये गीत मेरे।।

आये हैं राम हमारे, आज मेरे द्वारे

आए हैं राम हमारे, आज मेरे द्वारे। सिय लक्ष्मण संग पधारे, आज मेरे द्वारे।। प्रभु ने आज दया दिखलाई। जनम-जनम की निधि है पाई।। सुर-मुनि को भी दुर्लभ हैं जो। आज हमारे द्वार खड़े वो।। दशरथ के प्राण अधारे, आज मेरे द्वारे। आए हैं राम हमारे, आज मेरे द्वारे।। प्रिय हनुमान साथ में आए। तन-मन झूमे, दृग जल छाए।। बावरि की गति भई हमारी। दर्शन दिए भगत भय हारी।। बन चातक नैन निहारें, आज मेरे द्वारे। आए हैं राम हमारे, आज मेरे द्वारे।। धन्य-धन्य यह अधम शरीरा। जिसको स्पर्श किए रघुवीरा।। चाहूँ नहिं कैवल्य परम पद। केवल प्रभु चरणों की चाहत।। सेवूँ नित साँझ-सकारे, आज मेरे द्वारे। आए हैं राम हमारे, आज मेरे द्वारे।। सिय लक्ष्मण संग पधारे, आज मेरे द्वारे। आए हैं राम हमारे, आज मेरे द्वारे।।

जड़ों से जुड़ा अस्तित्व

कल रात को नींद नहीं आ रही थी। बहुत देर तक बिस्तर पर करवटें बदलने के पश्चात् बेडरूम से निकल आया और हॉल की खिड़की के पास खड़ा होकर गमलों में लगे पौधों को अनायास ही घूरने लगा। पिछली बार इन्हें इतने ध्यान से कब देखा था, याद नहीं। वह तो आज इनका सौभाग्य था कि मोबाइल बेडरूम में ही रह गया था और रात अधिक होने के कारण टीवी चालू नहीं किया, अन्यथा इन पर ध्यान देने के लिए फुर्सत कहाँ? सामान्यतः ये भी बूढ़े माँ-बाप की तरह सुबह-शाम पानी और महीने दो महीने में मिटटी-खाद पाकर पड़े रहते हैं किसी कोने में। तीव्र विकास के इस दौर में समय इतना मूल्यवान है कि इन अनप्रोडक्टिव चीज़ों के लिए टाइम कौन बर्बाद करे! जीने के लिए जरूरी खाना-पानी मिल रहा है, यही क्या कम है? व्यस्तता इतनी कि फेसबुक और व्हाट्सऐप के लिए भी समय नहीं। न तो फेसबुकिया मित्रों के पोस्ट पढ़ पा रहे हैं और न ही लाइक या कमेंट कर पा रहे हैं। दुष्परिणाम यह कि यदि कुछ पोस्ट करते हैं या फिर प्रोफाइल पिक्चर चेंज करते हैं तो अब पहले की तरह लाइक-कमेंट भी नहीं मिल पाते।  व्हाट्सऐप पर चैट करने के लिए समय नहीं मिल पाता और कुछ ख़ास मित्रगण फोन कर हालचाल पूछने में

प्रभु की अनुकम्पा

हर दुख सहकर घबराकर भी छल-छद्म नहीं मैं सीख सका प्रभु की अनुकम्पा पाकर ही इस कल्मष से मैं वीत सका मुझको तुझ पर विश्वास सदा तू पग-पग मुझे सँभालेगा हो भँवर भयंकर कितनी भी तू हरदम मुझे निकालेगा तेरे सम्बल के कारण ही यह पाप न मुझको खींच सका प्रभु की अनुकम्पा पाकर ही इस कल्मष से मैं वीत सका मैं कदम-कदम ठोकर खाया अरु दर-दर पर अपमान सहा ध्रुव अटल भरोसा तेरा था जीवन-पथ पर बढ़ता ही रहा तेरी अनुभूति रही ऐसी यह अधम मुझे नहिं रीझ सका प्रभु की अनुकम्पा पाकर ही इस कल्मष से मैं वीत सका