गोरी चली है
सज-के, सँवर-के
ललचें लाल
कोमल पाँव
महावर दमके
करे निहाल
मादक ध्वनि
छम-छम पायल
हिरनी-चाल
चूड़ी छनके
कँगना खन-खन
लोग बेहाल
कानों झुमके
कमर करधनी
बिंदिया भाल
लाल अधर
कपोल दमकते
ज्यों उषाकाल
माँग में टीका
द्युति दामिनि की है
नागिन बाल
रसिया सारे
मर-मिट जाये हैं
नेत्र विशाल
ज्यों कामायिनी
जगत धन्य हुआ
रूप कमाल
सज-के, सँवर-के
ललचें लाल
कोमल पाँव
महावर दमके
करे निहाल
मादक ध्वनि
छम-छम पायल
हिरनी-चाल
चूड़ी छनके
कँगना खन-खन
लोग बेहाल
कानों झुमके
कमर करधनी
बिंदिया भाल
लाल अधर
कपोल दमकते
ज्यों उषाकाल
माँग में टीका
द्युति दामिनि की है
नागिन बाल
रसिया सारे
मर-मिट जाये हैं
नेत्र विशाल
ज्यों कामायिनी
जगत धन्य हुआ
रूप कमाल
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