बाईस जनवरी शुभ दिन था, उस दिन की बात निराली थी। हे राम! बताओ अब हमको, कैसी पहली दीवाली थी? कैसी थी जब तुम आये थे चौदह वर्षों के बाद अवध? कैसी है तनिक बताओ तो, पा तुमको सदियों बाद अवध? यह रात बहुत मतवाली है, वह रात भी अति मतवाली थी। हे राम! बताओ अब हमको, कैसी पहली दीवाली थी?……………(१) थे वे भी तुम बिन व्यथित सदा, हम भी तुम बिन नित व्यथित रहे। आँखों से आँसू पीते थे, आओगे तुम, पर अडिग रहे। सदियों पर सदियाँ गयीं मगर, हमने पथ दृष्टि गड़ा ली थी। हे राम! बताओ अब हमको, कैसी पहली दीवाली थी?……………(२) विश्वास न टूटा आओगे, विश्वास हमारा बना रहा। पाकर तुमको हम धन्य हुए, सिर झुका नहीं, सिर तना रहा। हे नाथ! कृपा कर भक्तों की, तुमने फिर लाज बचा ली थी। हे राम! बताओ अब हमको, कैसी पहली दीवाली थी?……………(३) - राजेश मिश्र