सुनो जाहिलों!
हम भारत के वीर पुत्र हैं, क्षमा हमारा भूषण है…
किन्तु धैर्य जब टूटेगा,
भाग्य तुम्हारा फूटेगा।।
रेगिस्ताँ में रहने वाले,
धरती चपटी कहने वाले,
हैं कैसे आदर्श तुम्हारे?
ब्याह बहन से करने वाले।
सुनो जाहिलों!
राम-कृष्ण का वीर्य है तुममें, इष्ट रुद्र हैं, पूषण हैं…
नहीं समझ में आयेगा!
अति विलंब हो जायेगा।।१।।
बाप तुम्हारे कायर थे जो,
धर्म बदलकर प्राण बचाये।
विवश हुईं तब बहन-बेटियाँ,
बिंदिया अरु सिन्दूर मिटाये।
सुनो जाहिलों!
गहरा ढूँढ़ोगे, पाओगे, वह उनका अनुकर्षण है…
अब भी चाह वही उनकी।
जीवन-राह वही उनकी।।२।।
कुछ ही पीढ़ी भ्रष्ट हुई हैं,
अभी शुद्धता शेष बची है।
अब भी वापस आ सकते हो,
रग में संस्कृति यही रची है।
सुनो जाहिलों!
वर्षों की जो धूल जमी है, धुँधला मन का दर्पण है…
जैसे इसे हटाओगे।
अपना परिचय पाओगे।।३।।
- राजेश मिश्र
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