गोली नहीं चलानी तुमको,
नहीं कृपाण उठाना है।
शून्य, सुषुप्त, अचेतन जन को
बम्-बम् बोल जगाना है।।
कुछ अनभिज्ञ और अवगत कुछ,
कुछ हैं आँखें मूँदे।
कुछ अपनों के ही विरोध में,
निशि-दिन नाचें-कूदें।
सरल नहीं है, पर सम्भव है,
संग सभी को लाना है।
बम्-बम् बोल जगाना है।।१।।
कुछ समझेंगे समझाने से,
कुछ भय से जागेंगे।
कुछ निर्बल, सहयोग अपेक्षित,
स्वयं नहीं माँगेंगे।
साम-दान से, दण्ड-भेद से,
अपने साथ मिलाना है।
बम्-बम् बोल जगाना है।।२।।
मिल-जुलकर सब संग चलेंगे,
संस्कृति बच जाएगी।
धर्म-ध्वजा चहुँ-दिशि फहरेगी,
सन्तति सुख पाएगी।
"हेयं दुःखम् अनागतम्" का
सबको पाठ पढ़ाना है।
बम्-बम् बोल जगाना है।।३।।
**हेयं दुःखमनागतम्।।
(पातंजलि योगसूत्र, साधनपाद, सूत्र १६)
हेयम् - नष्ट करने योग्य
दु:खम् - दुख
अनागतम् - जो आया न हो, आने वाला हो
अर्थात् आने वाले दुख नष्ट करने योग्य होते हैं।
- राजेश मिश्र
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