सदियाँ बीतीं, शुभ दिन आया, अवधपुरी हर्षाई है।
सत्य सनातन के गौरव की धर्म-ध्वजा फहराई है।।
हर्षित हैं सब देव-देवियाँ
हर्षित हैं धरतीवासी
मन प्रसन्न आशान्वित नाचें
संभल, मथुरा अरु काशी
शीघ्र हमें भी मुक्ति मिलेगी, आँख सजल हो आई है।
सत्य सनातन के गौरव की धर्म-ध्वजा फहराई है।।
हर शरणागत, दुखी-दीन को
हमने हृदय लगाया है
किंतु कृतघ्नों ने पीछे से
हम पर छुरा चलाया है
छद्मयुद्ध में धर्म निभाकर हमने जान गँवाई है।
सत्य सनातन के गौरव की धर्म-ध्वजा फहराई है।।
करुणा और प्रेम से हमने
उनके आँसू पोंछे हैं
प्रत्युत्तर में अश्रु दिया है
वे घाती हैं, ओछे हैं
कायरता माना सबने जब हमने दया दिखाई है।
सत्य सनातन के गौरव की धर्म-ध्वजा फहराई है।।
रक्तबीज हैं शेष अभी भी
धर्मयुद्ध नित जारी है
उन्हें समूल नष्ट करने की
अपनी भी तैयारी है
साँपों और सँपोलों का वध करने की रुत आई है।
सत्य सनातन के गौरव की धर्म-ध्वजा फहराई है।।
हर हिंदू अब जाग रहा है
म्लेच्छ मिलेंगे गारत में
लहर लहर लहराएगा अब
हर घर भगवा भारत में
खोया यश पाने के क्रम में यह पहली अँगड़ाई है
सत्य सनातन के गौरव की धर्म-ध्वजा फहराई है।।
- राजेश मिश्र
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