आओगे जब तुम रामलला, हम पलकन डगर बुहारेंगे। नयनन से नीर बहायेंगे, अँसुवन जल चरण पखारेंगे।। हम रुचि-रुचि भोग लगायेंगे, अपने हाथों से खिलायेंगे, जब थककर तुम सो जाओगे, हम बैठे चरण दबायेंगे। तुम सोओगे, हम जागेंगे, अपलक प्रभु तुम्हें निहारेंगे। आओगे जब तुम रामलला, हम पलकन डगर बुहारेंगे।। तेरा पूजन, तेरा वन्दन, पल-पल प्रभु तेरा ही चिन्तन, तन में भी तुम, मन में भी तुम, तेरा ही जग में अभिनन्दन। चलते फिरते सोते-जगते, प्राणों में तुम्हीं को धारेंगे। आओगे जब तुम रामलला, हम पलकन डगर बुहारेंगे।। बस यही अनुग्रह कर देना, निज चरणों में आश्रय देना। जब भूल कभी हो जाये तो, मत चरण-शरण से तज देना। तुम अवसर देना प्रभु हमको, हम आपनी भूल सुधारेंगे। आओगे जब तुम रामलला, हम पलकन डगर बुहारेंगे।। - राजेश मिश्र