रे बिकल मना! धरु धीर, राम जी आयेंगे।
रख ले नयनों में नीर, राम जी आयेंगे।।
आयेंगे जी भरकर रोना
अँसुवन से चरणों को धोना
हर लेंगे सारी पीर, राम जी आयेंगे।
रे बिकल मना! धरु धीर, राम जी आयेंगे।।
भक्ति भाव भोजन करवाना
कोमल शय्या उन्हें सुलाना
वन कठिन सहन की भीर, राम जी आयेंगे।
रे बिकल मना! धरु धीर, राम जी आयेंगे।।
प्रणतपाल दुखभंजन रघुबर
बरसायें नित नेह जनन पर
कृपासिन्धु मतिधीर, राम जी आयेंगे।
रे बिकल मना! धरु धीर, राम जी आयेंगे।।
- राजेश मिश्र।
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