अइलं अवध रघुराई, नगर-घर बाजे बधाई।
सुर-नर-मुनि हरषाई, नगर-घर बाजे बधाई।।
रामजी अइलं, लछिमन अइलंऽ
देखि सिया के नयन जुड़इलंऽ
भरत मिलेलं हहाई, नगर-घर बाजे बधाई।
अइलं अवध रघुराई, नगर-घर बाजे बधाई।।
लखन-सहोदर मगन निहारंऽ
ढरकत अंसुवन चरण पखारंऽ
सब सुधि-बुथि बिसराई, नगर-घर बाजे बधाई।
अइलं अवध रघुराई, नगर-घर बाजे बधाई।।
भई उर्मिला-गति बावरि सी
चउदह बरस की अंखियां तरसीं
हरषित तीनों माई, नगर-घर बाजे बधाई।
अइलं अवध रघुराई, नगर-घर बाजे बधाई।।
- राजेश मिश्र
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