प्रेम-रस सराबोर सब अङ्ग,
नयन जल छाये हैं।
राम घर आये हैं।।
बज रहे ढोलक झाल मृदङ्ग,
चहूँ दिशि बिखरे नाना रङ्ग,
नारि-नर नाचें भरे उमङ्ग,
देखि लक्ष्मण सीता प्रभु सङ्ग,
हृदय हर्षाये हैं।
राम घर आये हैं।।
सुशोभित सुरभित बंदनवार,
डगर पर फूलों की भरमार,
चौक पूरे हैं हर घर-द्वार,
गगन में गूँजे मङ्गलचार,
देखने अनुपम दृश्य अपार,
देव-मुनि धाये हैं।
राम घर आये हैं।।
प्रजा जन छोड़ सकल संसार,
जुटे हैं भव्य राम-दरबार,
भरे आँखो में स्नेह अपार,
परम प्रभु रूप अनूप निहार,
विकल हो सारे हृदयोद्गार,
दृगों से ढाये हैं।
राम घर आये हैं।
- राजेश मिश्र
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