कर सोलह श्रृंगार, अयोध्या अपलक डगर निहार
कहां हैं रामलला?
आनंद अपरंपार, बहे नयनों से अविरल धार
कहां हैं रामलला?
सदियों लड़कर शुभ दिन आया
हर्षोल्लास लोक तिहुँ छाया
घड़ी मिलन की अब आई है
सिहरन सी तन में छाई है
वाणी है लाचार, धड़कती छाती बारंबार,
कहां हैं रामलला?
कर सोलह श्रृंगार, अयोध्या अपलक डगर निहार
कहां हैं रामलला?
झलक दिखी रघुवर सुजान की
कृपायतन करुणानिधान की
श्याम गात पर पीताम्बर की
नरकेशरि की, कर धनु-शर की
अमित अनंत अपार, छटा लखि लज्जित सकुचित मार
कहां हैं रामलला?
कर सोलह श्रृंगार, अयोध्या अपलक डगर निहार
कहां हैं रामलला?
राम अयोध्या सम्मुख आये
पुलक गात कुछ कहि नहिं जाये
देखि अलौकिक छवि अति न्यारी
तुरत अयोध्या भई सुखारी
भेंटी भर अँकवार, रहा सुख का नहिं पारावार
विराजो रामलला।
कृपासिन्धु सरकार, करो सबके दुख का निस्तार
हमारे रामलला।।
,- राजेश मिश्र
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