राम ही सत् हैं, राम ही चित् हैं
राम ही घन आनन्द हैं।
राम भजो मन, राम भजो मन
राम ही परमानन्द हैं।।
राम सगुण हैं, राम ही निर्गुण,
निराकार साकार हैं।
राम ही ब्रह्मा, राम ही विष्णु,
राम ही शिव अवतार हैं।
राम ही सोम, सूर्य अरु अग्नि
वायु, वरुण अरु इन्द्र हैं।
राम भजो मन, राम भजो मन
राम ही परमानन्द हैं।।
राम ही धरती, राम गगन हैं,
राम ही चौदह लोक हैं।
राम ही चेतन कण-कण में हैं,
राम ही हर आलोक हैं।
राम ही स्वर हैं, राम ही लय हैं,
राम ही ताल और छन्द हैं।
राम भजो मन, राम भजो मन
राम ही परमानन्द हैं।।
राम ही प्राण हैं, त्रिविध शरीर हैं,
पञचकोश भी राम हैं।
राम ही चित्त हैं, राम ही मन हैं,
बुद्धि-अहं भी राम हैं।
राम ही भोग हैं, राम ही योग हैं,
राम जीव हैं, ब्रह्म हैं।
राम भजो मन, राम भजो मन
राम ही परमानन्द हैं।।
- राजेश मिश्र
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