उदयाचल से सूरज निकला
घोर अँधेरा भाग रहा है।
सनातनी वीरों! तुम सोए
देखो दुश्मन जाग रहा है।।
वर्षों बाद समय बदला है
तुम उन्नीस से बीस हुए।
रही सैकड़ों साल गुलामी
तब फिर सत्ताधीश हुए।
सतत सतर्क रहो तुमसे यह
वचन राष्ट्र अब माँग रहा है।
सनातनी वीरों! तुम सोए
देखो दुश्मन जाग रहा है।।१।।
हाँ वे अब कमजोर हुए हैं
लेकिन हार नहीं मानी है।
चुप हैं, पर मौका मिलते ही
हमला करने की ठानी है।
घाती हैं, वे घात करेंगे
उनका यह अंदाज रहा है।
सनातनी वीरों! तुम सोए
देखो दुश्मन जाग रहा है।।२।।
काश्मीर में सिद्ध किया फिर
जड़ उन्मादी अंधे हैं वे।
देश-राष्ट्र का अर्थ न कोई
बस इस्लामी बंदे हैं वे।
लाल चौक रिपु रुधिर से धो दो
जो मस्तक का दाग रहा है।
सनातनी वीरों! तुम सोए
देखो दुश्मन जाग रहा है।।३।।
- राजेश मिश्र
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