हर दशा में साथ रहते
अश्रु अपने सुख के साथी, दुख के साथी।
मौन रह हर बात कहते
अश्रु अपने सुख के साथी, दुख के साथी।।
चिर प्रतीक्षित कामना जब
पूर्ण हो जाती कभी
हर्ष का संदेश लेकर
ढुलक पढ़ते हैं तभी
टीस को ले साथ बहते
अश्रु अपने सुख के साथी, दुख के साथी।…(१)
प्रिय हमें बिछड़ा हुआ जब
कोई सहसा आ मिले
भावना उर की उफनती
साथ अपने ले चलें
मगन मन का हाल कहते
अश्रु अपने सुख के साथी, दुख के साथी।…(२)
दाहता दुख जब अपरिमित
हो व्यथा सहना कठिन
घुट रहे हों हम अकेले
तड़पते हों रात-दिन
दग्ध दिल का दाह सहते
अश्रु अपने सुख के साथी, दुख के साथी।…(३)
- राजेश मिश्र
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