आज कुछ ऐसा सुनाओ, चित्त को आराम दे जो।
विकल हिय को शान्त कर दे, धड़कनों को थाम ले जो।।
हाँ, सुनाओ गीत कोई
प्रेम हो, अनुराग भी हो।
हो सरस सङ्गीत सज्जित
ताल स्वर लय राग भी हो।
मनस् मीठे भाव भर दे, प्रीति का पैगाम दे जो।
विकल हिय को शान्त कर दे, धड़कनों को थाम ले जो।।१।।
या सुनाओ परम पावन
कथा दमयंती की नल की।
अमित साहस शौर्य निष्ठा
त्याग तप धीरज अचल की।
आत्मगौरव आत्मचिन्तन ज्ञान दे सम्मान दे जो।
विकल हिय को शान्त कर दे, धड़कनों को थाम ले जो।।२।।
या सुनाओ तान मीठी
कृष्ण की प्रिय बाँसुरी की।
राधिका के समर्पण की
गोपिका मन माधुरी की।
तृषित तन-मन तृप्त कर दे, भक्ति का वरदान दे जो।
विकल हिय को शान्त कर दे, धड़कनों को थाम ले जो।।१।।
- राजेश मिश्र
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें