सामाजिक संरचना ट्विस्ट हो गई।
बहनें पढ़-लिख फेमीनिस्ट** हो गईं।।१।।घर की कुंठा ले बाहर आती है,
औरों के जीवन में सिस्ट हो गईं।।२।।
जब देखो, पीड़ित ही पीड़ित दिखती हैं,
किसी कोमलांगी की रिस्ट हो गईं। ।३।।
कल तक जो हर मंदिर-मंदिर घूमती थी,
चर्च-मॉस्क जा सेक्युलरिस्ट हो गई।।४।।
नन्ही सी गुड़िया गोद में बैठकर,
हर पीड़ा की थेरेपिस्ट हो गई।।५।।
हमको बिछड़े बरसों बीत गए हैं,
शनै:-शनै: सारी यादें मिस्ट हो गईं।।६।।
थीं निर्बल-सी अलग-अलग अंगुलियां,
साथ मिलीं, तो मिलकर फिस्ट हो गईं।।७।।
लिखने बैठे जो अपनी जीवन-गाथा,
तुम सारी गाथा का जिस्ट हो गई।।८।।
**शर्तें लागू
१. यह कथन सभी पढ़ी-लिखी बहनों पर लागू नहीं होता है।
२. इसमें कुछ कम पढ़ी-लिखी या अनपढ़ बहनें भी आ सकती हैं।
३. कुछ अनपढ़ बहनें पढ़ी-लिखी से भी बढ़-चढ़कर हो सकती हैं।
४. कृपया व्यक्तिगत मत लें। वैसे इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता है।
twist - बदलना
feminist - परिभाषित करना कठिन है
cyst - गाँठ
wrist - कलाई, मणिबन्ध
church - गिरिजाघर
mosque - मस्जिद
secularist - आह! बताने की आवश्यकता है?
therapist - चिकित्सक
mist - कुहासा
fist - मुट्ठी
gist - सारांश
- राजेश मिश्र
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