गीत हमारे उपजे तुमसे तुममें ही लय हो जायेंगे।।
तुमको पाकर पाया खुद को तुमको खोकर खो जायेंगे।।
तुमसे ही प्रातः होती है
रात तुम्हारे सँग सोती है
रवि-राकेश तुम्हीं से भासित
संध्या भी रक्तिम होती है
तुमसे ही उगते हैं तारे बिन तुम सब गुम जायेंगे।
तुमको पाकर पाया खुद को तुमको खोकर खो जायेंगे।।१।।
तुमसे कलियाँ मुसकाती हैं
विकसित होकर इतराती हैं
हँसता है यह मधुमय मधुबन
भृंगावलियाँ भी गाती हैं
सुमन-सुमन सुरभित तुमसे तुम बिन बिन सौरभ हो जाएंगे।
तुमको पाकर पाया खुद को तुमको खोकर खो जायेंगे।।
तुमसे ही पंछी गाते हैं
पंख तुम्हीं से बल पाते हैं
और तुम्हारा ही संबल ले
नभ में निर्भय मंडराते हैं
तुमसे ही जगमग जीवन है तुम बिन शव सम हो जायेंगे।
तुमको पाकर पाया खुद को तुमको खोकर खो जायेंगे।।
- राजेश मिश्र
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