कल मुझसे गुनाह हो गया।
मेरा दुश्मन तबाह हो गया॥
कौन निर्धारित करेगा सरहदें,
वह तो अब तानाशाह हो गया॥
देखा करते थे जिसे ख्वाब में,
कल सुना उसका निकाह हो गया॥
दोस्त जो दिल के मेरे करीब था,
आज वह सागर अथाह हो गया॥
जब लगीं दुनिया की उसको ठोकरें,
माँ का आँचल फिर पनाह हो गया॥
मेरा दुश्मन तबाह हो गया॥
कौन निर्धारित करेगा सरहदें,
वह तो अब तानाशाह हो गया॥
देखा करते थे जिसे ख्वाब में,
कल सुना उसका निकाह हो गया॥
दोस्त जो दिल के मेरे करीब था,
आज वह सागर अथाह हो गया॥
जब लगीं दुनिया की उसको ठोकरें,
माँ का आँचल फिर पनाह हो गया॥
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर....!
जवाब देंहटाएंमाँ का आँचल फिर पनाह हो गया....!
धन्यवाद बबन भाई, दिनेश जी!
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