आज गिरी है बिजली तेरे दामन में।
मुमकिन है कल खुशियाँ आयें आँगन में॥
दर्द जगाया है जिसने तेरे मन में,
मुमकिन है साथी बन जाये जीवन में॥
आज खिला है एक फूल गर गुलशन में,
मुमकिन है कल फूल ही फूल हों उपवन में॥
दुबक गई है मानवता यदि कानन में,
मुमकिन है कल फिर पनपे मानवजन में॥
भ्रष्टाचार से क्षोभ उठा तेरे मन में,
मुमकिन है कल शोर मचे यह जन-जन में॥
व्याप्त तुझे जो आज दिखा तेरे तन-मन में,
मुमकिन है कल तू देखे उसे कण-कण में॥
मुमकिन है कल खुशियाँ आयें आँगन में॥
दर्द जगाया है जिसने तेरे मन में,
मुमकिन है साथी बन जाये जीवन में॥
आज खिला है एक फूल गर गुलशन में,
मुमकिन है कल फूल ही फूल हों उपवन में॥
दुबक गई है मानवता यदि कानन में,
मुमकिन है कल फिर पनपे मानवजन में॥
भ्रष्टाचार से क्षोभ उठा तेरे मन में,
मुमकिन है कल शोर मचे यह जन-जन में॥
व्याप्त तुझे जो आज दिखा तेरे तन-मन में,
मुमकिन है कल तू देखे उसे कण-कण में॥
दुःख -सुख है ....संसार मिलन है ...sundar...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बबन भाई
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