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कब तक खैर मनाओगे

भाईचारा में चारा बन, तुम कब तक खैर मनाओगे?
निश्चित वह दिन आयेगा ही, जब काटे-बाले जाओगे।।

भाई, भाई के हुए नहीं,
भाई, बहनों के हुए नहीं।
इतिहास उठाकर देखो तो,
बेटे, माँ-बाप के हुए नहीं।

तुम इनसे आशा करते हो, बदले में धोखा खाओगे।
निश्चित वह दिन आयेगा ही, जब काटे-बाले जाओगे।।१।।

पहले पालें, फिर काटें ये,
ऐसी ही शिक्षा है इनकी।
अपनाना, बोटी कर देना,
सदियों से दीक्षा है इनकी।

अति क्रूर कभी ममता न करें, भूलोगे तो पछताओगे।
निश्चित वह दिन आयेगा ही, जब काटे-बाले जाओगे।।२।।

आधा खेत गधे ने खाया,
आधा फिर भी बचा हुआ है।
तुम सोये हो चद्दर ताने,
वह खाने में लगा हुआ है।

नहीं उठे तो कुछ न बचेगा, घर से बेघर हो जाओगे।
निश्चित वह दिन आयेगा ही, जब काटे-बाले जाओगे।।३।।

- राजेश मिश्र 

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