सत्य यही है, जो आया है
उसको इक दिन जाना होगा।
फिर भी, जब तुम चले गये तो
हृदय व्यथित है, मन उदास है।।
सरल हृदय था, सहज मनुज थे,
वैर किसी से नहीं बढ़ाया।
जन की पीड़ा कम करना ही,
निज जीवन का ध्येय बनाया।
आजीवन वह लक्ष्य अडिग था,
अति दृढ़ता से ठाना होगा।।
फिर भी, जब तुम चले गये तो
हृदय व्यथित है, मन उदास है।।१।।
भारत माँ के योग्य पुत्र थे,
तन-मन-धन से पूर्ण समर्पित।
निश्चित है माँ तुम्हें देखकर,
रहती होगी निशिदिन हर्षित।
तुमको जन्म दिया तो माँ ने,
धन्य कोख निज माना होगा।।
फिर भी, जब तुम चले गये तो
हृदय व्यथित है, मन उदास है।।२।।
ईश्वर तुमको सद्गति देंगे,
इसमें कुछ संदेह नहीं है।
उनको भी निश्छल-मन-जन की,
आवश्यकता सदा रही है।
तुमको गले लगाकर उनकी,
आँखों को भर आना होगा।।
फिर भी, जब तुम चले गये तो
हृदय व्यथित है, मन उदास है।।३।।
(स्वर्गीय श्री रतन टाटा जी को विनम्र श्रद्धांजलि 💐💐🙏🙏 )
राजेश मिश्र
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें