हे अंबे! जयकार तुम्हारा।
कर दो बेड़ा पार हमारा।।
तुम ही आदिशक्ति जगदंबे!
तुमसे पह संसार है सारा।
कर दो बेड़ा…
सूरज, शशधर, दीपक, तारे
तुमसे ही सबमें उजियारा।
कर दो बेड़ा…
सचराचर के कण-कण में तुम,
तुम्हीं भँवर हो, तुम्हीं किनारा।
कर दो बेड़ा…
हम अबोध, अज्ञानी बालक
दूजा कोई नहीं सहारा।
कर दो बेड़ा…
पूजा, जप-तप, योग न जानें,
कैसे हो उद्धार हमारा?
कर दो बेड़ा…
मन में मैल जमी जनमों से
धुल दो बहा स्नेह-जल-धारा।
कर दो बेड़ा…
कर दो जीवन ज्योतिर्मय माँ,
अंतस् घटाटोप अँथियारा।
कर दो बेड़ा…
- राजेश मिश्र
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