हम सब तेरे ही जन अंबे! हम ही तुम्हें पुकारें।आओ मइया! घर में आओ, क्यों ठाढ़ी हो द्वारे?
आसन शोभन लगा हुआ है,
आओ, मातु पधारो।
पावन शीतल जल लाये हैं,
पाद्य-अर्घ्य स्वीकारो।
स्नान हेतु क्षीरोदक-दधि-घी, पंचामृत-मधु सारे।आओ मइया! घर में आओ, क्यों ठाढ़ी हो द्वारे?
नाना परिमल द्रव्य है मइया,
कुंकुम है, सिंदूर है।
उत्तम उद्वर्तन चंदन का,
इष्टगंध भरपूर है।
पुष्पाक्षत से पूजें मइया, सरसिज-चरण तुम्हारे।आओ मइया! घर में आओ, क्यों ठाढ़ी हो द्वारे?
लकदक लाल चुनरिया लाये,
कनक देह पर धारो,
आभूषण, शृंगार-वस्तु सब,
इनको अंगीकारो।
बीड़ा-फल-नैवेद्य-आरती, हम स्वागत में ठाढ़े।आओ मइया! घर में आओ, क्यों ठाढ़ी हो द्वारे?
- राजेश मिश्र
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