धन्य हुआ मैं आज, माई सपने में आई।।
पहले सिर पर हाथ फिराया,
फिर हौलै से मुझे जगाया,
प्यार से बोली, उठ जा बेटा!
अर्धनिमीलित आँखों देखा,
ठाढ़ी थी साक्षात, माई सपने में आई।
धन्य हुआ मैं आज, माई सपने में आई।।१।।
तेज देख आँखें चुँधियाईं,
टूटा बंध और भर आईं,
तुरतहिं माँ ने हृदय लगाया,
पुचकारा, पुनि-पुनि दुलराया,
हरष न हृदय समात, माई सपने में आई।
धन्य हुआ मैं आज, माई सपने में आई।।२।।
मुझे प्रेम से अंक बिठाया,
गोदी पा मैं अति अगराया,
देखी जब मेरी लरिकाई,
माता मन ही मन मुसुकाई,
चूम लिया फिर माथ, माई सपने में आई।
धन्य हुआ मैं आज, माई सपने में आई।।३।।
उपालंभ तब मेरा सुनकर,
हृदय बसी सब पीड़ा गुनकर,
पुनि-पुनि मुझको उर में धारा,
आँसू पोंछे, रूप सँवारा,
खुल गइ मन की गाँठ, माई सपने में आई।
धन्य हुआ मैं आज, माई सपने में आई।।४।।
माँ ने करुण-कृपा बरसाई,
अंतर्मन की ज्योति जगाई,
ज्ञानचक्षु के पट पुनि खोले,
मुझे सुलाया हौले-हौले,
कर गइ मुझे सनाथ, माई सपने में आई।
धन्य हुआ मैं आज, माई सपने में आई।।५।।
- राजेश मिश्र
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें