उदारमना धर्मनिरपेक्ष कवियों को समर्पित एक गीत…
छोड़ो धर्म-कर्म की बातें,
छोड़ो देश-राष्ट्र की चिंता।
इन विषयों पर सोच-सोच कर,
दुख को छोड़ और क्या मिलता?
किसी षोडशी के यौवन पर,
न्यौछावर हो, प्रीत लिखेंगे।
चलो-चलो कुछ गीत लिखेंगे।।१।।
हम क्या धर्म-जाति के रक्षक?
देश-राष्ट्र के प्रहरी हैं क्या?
हमको क्यों पड़ना झगड़ों में?
धर्मोन्मादी सनकी हैं क्या?
हम सच्चे सद्भाव समर्थक,
धर्म-मुक्त हो जीत लिखेंगे।
चलो-चलो कुछ गीत लिखेंगे।।२।।
कुछ लोगों के बहकावे में,
भाईचारा क्यों छोड़ें हम?
वे भी तो अपने ही हैं फिर,
कैसे उनसे मुँह मोड़ें हम?
आधी हिंदी, आधी उर्दू,
गंगा-जमुनी रीत लिखेंगे।
चलो-चलो कुछ गीत लिखेंगे।।३।।
- राजेश मिश्र
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