सुनलऽ हमार कब तूंऽ? कइसे तुहंके रोकीं?
पाप ई तुहार बा तऽ, हम काहें भोगीं?
कब हम कहलीं तुहंसे, माई-बाप छोड़ि दऽ?
भाई-बहिनि-संगी-साथी, सबसे मुंह मोड़ि लऽ?
जिद ई तुहार रहल, तुहीं हव दोषी।
पाप ई तुहार बा तऽ, हम काहें भोगीं?
लइके तऽ कहलं नाहीं, अलगे हमके पालऽ।
सीना कऽ बोझ अपने, खुद ही संभालऽ।
अंड़सा तऽ तुहंके कइसे, उनहन के कोसीं?
पाप ई तुहार बा तऽ, हम काहें भोगीं?
अबहिन भी एतना साजन, बिगड़ल नऽ बाट।
माई-बाप हवं आखिर, भलहीं ऊ डांटं।
पंउआं पे सीस धरतऽ, राखि लिहंऽ गोदी।
पाप ई तुहार बा तऽ, हम काहें भोगीं?
- राजेश मिश्र
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